बेरीनाग, पिथौरागढ़: उत्तराखंड के बेरीनाग क्षेत्र में भारी बारिश के चलते खड़ियाखान के पास गुरुवार को बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुआ, जिससे मनगढ़ गांव में कई मकान प्रभावित हुए हैं। भूस्खलन के कारण गांव के छह मकान और पंचायत घर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जबकि दो मकानों को गंभीर खतरा बना हुआ है। घटना के बाद, आठ परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया है और पूरे गांव में भय का माहौल है।
पेयजल और विद्युत आपूर्ति बाधित
भूस्खलन के कारण चौड़मन्या क्षेत्र की पेयजल आपूर्ति लाइन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है, जिससे स्थानीय निवासियों को पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, गांव में विद्युत आपूर्ति भी ठप हो गई है, जिससे ग्रामीणों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं
मलबा गिरने से दहशत में आए ग्रामीण
गुरुवार अपराह्न बाद, खड़ियाखान में अचानक तेज आवाज के साथ मलबा नीचे की ओर खिसकने लगा, जो करीब 300 मीटर की दूरी पर स्थित मनगढ़ गांव की तरफ बढ़ने लगा। मलबे की आवाज सुनते ही गांव के लोग अपने घरों से बाहर आ गए। ग्राम प्रधान राजेंद्र सिंह और स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता कवींद्र सिंह ने इस घटना की सूचना तत्काल तहसील प्रशासन को दी।
प्रशासन की त्वरित कार्रवाई
सूचना मिलने पर एसडीएम यशवीर सिंह ने राजस्व निरीक्षक कुंदन सिंह के नेतृत्व में एक टीम गांव भेजी। टीम ने मौके पर पहुंचकर देखा कि छह मकानों से करीब 20-25 मीटर ऊपर मलबा जमा हो चुका था। सभी प्रभावित परिवारों को तुरंत अपने घर खाली करने को कहा गया, और उनके सामान को पंचायत घर में सुरक्षित रखा गया। हालांकि, बाद में पंचायत घर भी खतरे में आ गया, जिसके बाद सभी सामान और परिवारों को गांव के अन्य सुरक्षित मकानों में स्थानांतरित किया गया।
मकानों को हुआ नुकसान
ग्राम प्रधान और स्थानीय लोगों के अनुसार, नंदन सिंह, मोहन चंद्र पंत, हेम चंद्र पंत, हरीश चंद्र पंत, भगवती प्रसाद पंत और कल्याण सिंह के मकानों को गंभीर क्षति पहुंची है। वहीं, बहादुर सिंह और विशन सिंह के मकानों को भी खतरा है।
खनन से पहले ही था खतरे का अंदेशा
ग्राम प्रधान राजेंद्र सिंह और जिला पंचायत सदस्य दिवाकर रावल ने बताया कि खड़िया खनन के कारण पहले से ही गांव को खतरा था। गांव से 300 मीटर की ऊंचाई पर चल रहे खनन कार्य से लगातार खतरा बना हुआ था और इसके खिलाफ कई बार शिकायतें भी की गईं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई।