नैनीताल के सूखाताल क्षेत्र में स्थित जल संस्थान के पंप हाउस में क्लोरीन गैस सिलेंडर के रिसाव से पूरे प्रशासनिक तंत्र में भारी हड़कंप मच गया। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, अग्निशमन विभाग, पुलिस, और जल संस्थान के इंजीनियर मिलकर भी चार घंटे तक यह निर्णय नहीं कर पाए कि रिसाव वाले सिलेंडर को कैसे निस्तारित किया जाए—पानी में फेंककर या गड्ढे में दबाकर। यह घटना एक बार फिर आपदा प्रबंधन तंत्र की नाकामी और तैयारियों की पोल खोलती नजर आई।शाम चार बजे के करीब जब जल संस्थान के अधिकारी पंप हाउस पहुंचे, तो गैस का तेज रिसाव पहले से हो रहा था। अधिकारियों ने तुरंत पुलिस और अग्निशमन विभाग को बुलाया, पर अग्निशमन कर्मी भी पंप हाउस के भीतर प्रवेश करने में असफल रहे। स्थिति को गंभीर देखते हुए एसडीआरएफ को बुलाया गया, परंतु सिलेंडर से लगातार हो रहे रिसाव के बीच किसी भी टीम के पास इसका निस्तारण करने की स्पष्ट जानकारी नहीं थी।राहत कार्य की धीमी प्रक्रिया के बीच, प्रशासन ने चूने का इंतजाम किया, क्योंकि क्लोरीन गैस का निस्तारण चूने से संभव है। लेकिन इस दौरान टीमों को सिलेंडर को बाहर निकालने और सुरक्षित स्थान पर ले जाने में ही दो घंटे से अधिक का समय लग गया। हालात इतने बिगड़े हुए थे कि शाम छह बजे एनडीआरएफ ने मोर्चा संभाला और तब जाकर सिलेंडर को बाहर निकाला जा सका। लेकिन यहां भी समस्या बनी रही कि सिलेंडर को कैसे नष्ट किया जाए—सूखाताल झील में डालकर या जमीन में गड्ढा खोदकर। गड्ढा खोदने के लिए बुलडोजर भी तय समय पर नहीं पहुंच पाया, और जब बुलडोजर आया तब तक देर हो चुकी थी। करीब पौने चार घंटे बाद सिलेंडर को झील में डालकर निस्तारित किया गया, लेकिन तब तक क्षेत्रवासियों में दहशत का माहौल बन चुका था। इस दौरान स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपनाने का आरोप लगाया। रोहित भाटिया नामक एक व्यक्ति, जो गैस की चपेट में आया था, ने बताया कि अगर प्रशासन समय रहते प्रभावी कदम उठाता, तो स्थिति इतनी भयावह न होती।एसडीएम प्रमोद कुमार ने बताया कि प्रशासन की प्राथमिकता पहले प्रभावित क्षेत्र से लोगों को सुरक्षित बाहर निकालना थी, जिसके तहत लगभग 150 लोगों को घरों से बाहर निकाला गया और तीन एम्बुलेंस मौके पर तैनात की गईं। इस हादसे के बाद जिलाधिकारी वंदना सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए हैं, जिसकी जिम्मेदारी संयुक्त मजिस्ट्रेट वरुणा अग्रवाल को सौंपी गई है। स्थानीय निवासियों ने यह सवाल भी उठाया है कि सिलेंडर पंप हाउस के आधे हिस्से से बाहर क्यों निकला हुआ था—क्या यह चोरी का प्रयास था या किसी अन्य वजह से सिलेंडर हिलने के कारण रिसाव हुआ? इस घटना ने प्रशासन की कार्यक्षमता और आपदा प्रबंधन की तैयारियों पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनका जवाब आना अभी बाकी है।
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