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Haldwani:सिर से उठा मां का साया, तो प्रकृति की गोद में मां का आंचल पाया……चंदन नयाल की मेहनत से महक रहा नाई गांव,पहले पागल कहने वाले आज करते हैं सराहना

‘मैं बारहवीं में पढ़ता था जब मां का निधन हो गया था। मां से दूर होने पर मैं टूट सा गया और यहीं से मेरा जुड़ाव प्रकृति की ओर हुआ। प्रकृति की गोद में मुझे मां के आंचल की छांव मिली तो मैंने इसी के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया…. यह कहना है ओखलकांडा ब्लॉक के नाई गांव निवासी चंदन नयाल का।


जी हाँ, चंदन ने अपने एक दशक के भगीरथ प्रयास से न सिर्फ गांव में निर्जल हो चुके स्रोतों को पुनर्जीवित किया, बल्कि चार हेक्टेयर क्षेत्र में मिश्रित जंगल भी विकसित कर रहे हैं। कहते हैं शुरूआत में जो लोग उन्हें पागल कहते थे, आज उनके कामों की सराहना कर रहे हैं।


आपको बताते चलें की 30 वर्षीय चंदन बताते हैं कि पढ़ाई के चलते उनका बचपन और किशोरावस्था गांव से बाहर नैनीताल, रामनगर और हल्द्वानी में बीती। उन दिनों वह गर्मियों की छुट्टियों में गांव आते थे। गांव के जंगल में चीड़ बहुतायत में था, जिसमें लगभग हर साल आग लगी रहती थी।


बाग और फसलों को बचाने के लिए वह भी परिवार जनों के साथ आग बुझाते। पॉलीटेक्निक कर चुके चंदन चाहते तो महानगरों में जाकर नौकरी कर सकते थे लेकिन जलते जंगल और सूखे जलस्रोतों ने उन्हें फिर अपनी जमीन पर आने के लिए मजबूर कर दिया।


इतना ही नहीं,चंदन कहते हैं कि मां के निधन के बाद वह प्रकृति को ही अपनी मां और ईश्वर मानते हैं। उनकी निधन पर कोई लकड़ी न जले इसलिए उन्होंने चार साल पहले अपनी देह मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी को दान कर दी है।


वहीं चंदन ने बताया की उन्होंने दस साल पहले पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करना शुरू किया था। तब से अब तक वह क्षेत्र में 53 हजार से अधिक पौधे लगा चुके हैं। ग्राम पंचायत के चामा तोक में वह युवा और महिला सहायता समूहों की मदद से करीब चार हेक्टेयर में मिश्रित वन विकसित कर रहे हैं। अभी यहां लगे पौधे छह से सात फुट लंबे हो चुके हैं। पौधरोपण के लिए वह हर साल अपनी नर्सरी में 30 से 40 हजार पौधे तैयार कर रहे हैं। यहां से उन्होंने अब तक लोगों को करीब 60000 पौधे बांटे हैं।


बता दें की जंगल के साथ ही चंदन ने 2017 में जल संरक्षण के लिए भी काम करना शुरू किया। अब तक वह 12 हेक्टेयर भूमि में 5200 से अधिक चाल खाल और खंतियां बना चुके हैं। उनका दावा है कि इन खंतियों की सहायता से हर साल बारिश के मौसम के दौरान 1.70 करोड़ लीटर पानी भूमिगत होता है। इसका फायदा गांव के सूख चुके नौले और धारों को हुआ। जो नौले-धारे केवल चौमास में ही पानी देते थे, वह चंदन और उनकी टीम के प्रयासों बारह मास पानी से भरे रहते हैं।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से पर्यावरण के लिए किए गए चंदन के प्रयासों की सराहना कर चुके हैं। जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार की ओर से उन्हें 23 जुलाई 2021 में ‘वाटर हीरो के अवार्ड से नवाजा जा चुका है। इसके अलावा वह उत्तराखंड रत्न, सुंदर लाल बहुगुणा स्मृति वृक्ष मित्र सहित ढेरों सम्मान पा चुके हैं।

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