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मेडिकल के छात्रों को अब दिमागी जांच कराने की जरुरत नहीं होगी, इन कारणों के चलते लिया गया ये फैसला।

नोक्रियाँ

प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए दाखिले में छात्रों की अनिवार्य रूप से दिमागी जांच नहीं होगी। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज की ओर से छात्रों का मनोचिकित्सक टेस्ट अनिवार्य करने के फैसले को रद्द कर दिया है।

अब जरूरत महसूस होने पर ही यह जांच होगी। यूजी और नीट पीजी से दाखिला लेने वाले छात्रों के लिए पिछले दिनों राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी ने मनोचिकित्सक टेस्ट अनिवार्य किया था। सरकार ने इस संबंध में न तो नीतिगत फैसला लिया था और न ही देश के अन्य मेडिकल कॉलेजों में यह जांच अनिवार्य की थी।

इसे देखते हुए प्रभारी स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा डॉ राजेश कुमार के निर्देशों पर निदेशक चिकित्सा डॉ आशुतोष सयाना ने किसी भी राजकीय मेडिकल कॉलेजों में अनिवार्य रूप से मनोचिकित्सा टेस्ट नहीं कराने के निर्देश जारी किए हैं।

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खुदकुशी की बढ़ती घटनाओं के चलते लिया ये फैसला
राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में मेडिकल शिक्षा में दाखिला लेने वाले छात्रों का मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण के फैसले पर विवाद होने पर अनिवार्यता की शर्त को हटा दिया है। यदि मेडिकल बोर्ड को लगता है कि कोई छात्र मानसिक रूप से स्वास्थ नहीं है तब ही उसकी मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण किया जा सकता है। मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण को अनिवार्य करने के पीछे कॉलेज प्रशासन का तर्क था कि छात्रा छात्राओं के आत्महत्या करने की समस्याएँ बढ़ती जा रही है, जिसे देखते हुए यह निर्णय लिया गया।

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