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उत्तराखंड देश का चौथा राज्य बन गया है, जहां जीएसटी में बायोमीट्रिक आधार प्रमाणीकरण लागू किया जा रहा है। वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बुधवार को इस नई व्यवस्था का शुभारंभ किया। नई व्यवस्था के तहत राज्य में 100 से 150 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी रोकने की संभावना है। उत्तराखंड उत्तर भारत का पहला राज्य है जिसने यह प्रणाली अपनाई है, जबकि इससे पहले गुजरात, पांडुचेरी और आंध्रप्रदेश में इसे लागू किया जा चुका है।वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी परिषद ने पूरे देश में पंजीकरण के लिए बायोमीट्रिक आधारित प्रमाणीकरण को चरणबद्ध तरीके से लागू करने की सिफारिश की थी, जिसे उत्तराखंड में शुरू कर दिया गया है। राज्य भर में 22 जीएसटी सुविधा केंद्र स्थापित किए गए हैं, जहां दस्तावेजों का सत्यापन और बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण किया जाएगा। ये केंद्र राज्य कर विभाग के प्रत्येक कार्यालय भवन में स्थित होंगे और यहां पंजीकरण के लिए उच्च जोखिम मानकों और डाटा विश्लेषण के आधार पर आवेदनों को चिन्हित किया जाएगा।राज्य में फर्जी पंजीकरण और टैक्स चोरी रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। कुछ असामाजिक तत्व राज्य कर में फर्जी पंजीकरण कर जाली बिलों के माध्यम से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ उठा रहे थे, जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा था। गुजरात में इस प्रणाली के लागू होने के बाद पंजीकरण आवेदनों में 55 प्रतिशत की कमी देखी गई है, जिससे फर्जी पंजीकरण पर रोक लगी है।उत्तराखंड के विभिन्न शहरों जैसे देहरादून, हरिद्वार, रुद्रपुर और हल्द्वानी में पांच-पांच जीएसटी सुविधा केंद्र स्थापित किए गए हैं।

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कुल 22 राज्य कर अधिकारी और 58 कर्मचारी इन केंद्रों पर सेवा देंगे। नई प्रणाली के माध्यम से टैक्स चोरी की घटनाओं पर पूरी तरह से अंकुश लगाने का प्रयास किया जाएगा, जिससे राज्य को स्वच्छ और पारदर्शी कर प्रणाली प्राप्त हो सकेगी।

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