हाईकोर्ट ने एक अंतरधार्मिक जोड़े की सुरक्षा से संबंधित याचिका पर एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है।
यह आदेश 26 वर्षीय हिंदू महिला और 21 वर्षीय मुस्लिम पुरुष की ओर से दाखिल की गई याचिका पर आधारित है, जो कुछ समय से लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे थे। हाईकोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया है कि यदि यह जोड़ा 48 घंटे के भीतर उत्तराखंड के समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के तहत अपने रिश्ते को पंजीकृत करता है, तो उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाए।हालांकि, शासकीय अधिवक्ता अमित भट्ट ने स्पष्ट किया कि उत्तराखंड में यूसीसी अभी लागू नहीं हुआ है और इसका नोटिफिकेशन जारी होना बाकी है। इस गलतफहमी के चलते, अदालत अब यूसीसी से संबंधित हिस्से को आदेश से हटा देगी और संशोधित आदेश जारी किया जाएगा।
याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि वे दोनों वयस्क हैं और लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं, जिससे एक के माता-पिता और भाई ने उन्हें धमकी दी है। इसके परिणामस्वरूप, जोड़े ने अदालत से सुरक्षा की गुहार लगाई।उप महाधिवक्ता जेएस विर्क और आरके जोशी ने सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए उत्तराखंड यूसीसी की धारा 378 (1) का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि राज्य में लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों को अपनी स्थिति रजिस्ट्रार के पास पंजीकृत करना अनिवार्य होगा। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो अधिनियम की धारा 387 (1) के तहत उन्हें दंडित किया जा सकता है।
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मामले की जटिलता और यूसीसी के पूर्ण कार्यान्वयन की स्थिति को ध्यान में रखते हुए, शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि यूसीसी से संबंधित हिस्से को हटाने के लिए एक रिकॉल एप्लीकेशन दाखिल की जाएगी।