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उत्तराखंड के औली में भारत और कजाकिस्तान का आठवां संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘काजिंद 2024’ आज से शुरू हो गया है, जो 13 अक्तूबर तक चलेगा। इस अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच सैन्य समन्वय को मजबूत करना और आतंकवाद विरोधी अभियानों में सहयोग बढ़ाना है। उद्घाटन समारोह में कजाकिस्तान के कर्नल करिबयेव नुरलान सेरिकबायविच और भारतीय टुकड़ी के कमांडर कर्नल योगेश उपाध्याय ने हिस्सा लिया। यह संयुक्त सैन्य अभ्यास दोनों देशों के बीच वैकल्पिक रूप से हर साल आयोजित किया जाता है। पिछले संस्करण का आयोजन जुलाई 2023 में कजाकिस्तान में किया गया था। इस बार 120 सैनिकों वाली भारतीय टुकड़ी का नेतृत्व मुख्य रूप से पांचवीं बटालियन कुमाऊं रेजिमेंट द्वारा किया जा रहा है, जिसमें भारतीय वायु सेना और सेना के अन्य अंगों के कर्मी भी शामिल हैं। कजाकिस्तान की ओर से 60 सैनिकों की टुकड़ी, जिसमें लैंड फोर्स, एयर डिफेंस फोर्सेज और एयरबोर्न असॉल्ट ट्रूप्स के सैनिक शामिल हैं, इस अभ्यास में भाग ले रही है।###

सैन्य अभ्यास के मुख्य उद्देश्य:

संयुक्त राष्ट्र के अध्याय सात के तहत आतंकवाद विरोधी अभियानों में दोनों देशों की सैन्य क्षमताओं को मजबूत करना है। यह अभ्यास मुख्य रूप से अर्ध-शहरी और पहाड़ी इलाकों में संचालित किया जाएगा, जिसमें आतंकवादी कार्रवाइयों का जवाब देना, संयुक्त कमांड पोस्ट और खुफिया निगरानी केंद्र की स्थापना जैसे सामरिक प्रशिक्षण शामिल होंगे। इसके अलावा, विशेष हेलिबॉर्न ऑपरेशन, कॉम्बैट फ्री फॉल, कॉर्डन और सर्च ऑपरेशन के अलावा ड्रोन और काउंटर ड्रोन सिस्टम का उपयोग भी किया जाएगा। प्रशिक्षण के दौरान एक हेलीपैड लैंडिंग साइट की सुरक्षा और एक परिभाषित क्षेत्र पर कब्जा करने जैसी स्थितियों से निपटने के लिए तैयारियों का परीक्षण किया जाएगा।

अभ्यास से होने वाले लाभ:

यह संयुक्त अभ्यास दोनों देशों की सेनाओं को आतंकवाद विरोधी अभियानों में रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं को साझा करने का अवसर देगा। इससे न केवल उनकी शारीरिक और सामरिक क्षमताएं बढ़ेंगी, बल्कि एक-दूसरे के सर्वोत्तम सैन्य अभ्यासों को भी अपनाया जा सकेगा। इस सैन्य सहयोग से भारत और कजाकिस्तान के बीच रक्षा संबंधों को मजबूती मिलेगी और मित्र देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और प्रगाढ़ किया जा सकेगा। काजिंद 2024 से दोनों देशों की सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल और अंतर-संचालन को विकसित करने में मदद मिलेगी, जिससे भविष्य में संयुक्त सैन्य अभियानों की तैयारी और प्रभावशीलता में सुधार होगा।

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