ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का निर्माण वर्तमान में तेजी से हो रहा है। यह परियोजना 125 किलोमीटर लंबी है, जिसमें से 105 किलोमीटर सुरंगों के माध्यम से गुजरती है। इस परियोजना की सुरंग खोदाई के चलते व्यासी के निकट बल्दियाखान गांव में मकानों पर दरारें आ गई हैं, जिससे ग्रामीण दहशत में हैं। खोदाई से लगातार ग्रामीणों के घरों में दरारें आ रही हैं।परियोजना की सुरंग खोदाई और उसके प्रभावटनल निर्माण के लिए मजबूत पहाड़ों को खोदकर सुरंग तैयार की जा रही है। कई जगह कठोर चट्टानों को काटने के लिए शक्तिशाली विस्फोट भी किए जा रहे हैं। इससे परियोजना क्षेत्र के आसपास के गांवों और घरों में दरारें आने की शिकायतें सामने आई हैं।बल्दियाखान गांव की स्थितिबल्दियाखान गांव शिवपुरी और व्यासी के बीच लोडसी ग्राम पंचायत के अंतर्गत आता है और परियोजना की सुरंग के ठीक ऊपर बसा हुआ है। जब से इस गांव के नीचे सुरंग की खोदाई शुरू हुई है, तब से ग्रामीणों के घरों में लगातार दरारें आ रही हैं। करीब ढाई साल पहले भी इस गांव के मकानों पर दरारें आई थीं, तब स्थानीय नागरिकों ने रेल विकास निगम और कार्यदायी संस्था के खिलाफ आंदोलन किया था। उस समय जिला प्रशासन की मध्यस्थता से रेल विकास निगम ने मकानों की मरम्मत के लिए ग्रामीणों को धनराशि दी थी, लेकिन अब चार माह बाद फिर से मकानों पर दरारें पड़ने लगी हैं। ग्रामीणों की मांगेंमंगलवार को बल्दियाखान के ग्रामीणों ने बैठक कर अपनी समस्याओं पर चर्चा की। उनका कहना था कि रेल परियोजना के कारण गांव पूरी तरह से खतरे की जद में आ गया है और भविष्य में और भी खतरा बढ़ सकता है। ग्रामीणों ने रेल विकास निगम और सरकार से दो प्रमुख मांगें की हैं:1. प्रत्येक परिवार से एक व्यक्ति को रोजगार देने की मांग।2. प्रभावित डेढ़ दर्जन परिवारों को नजदीकी भूमि पर विस्थापित करने की मांग।ग्रामीणों का कहना है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो वे अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर उतरेंगे और शासन एवं रेल विकास निगम के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे।बैठक में उपस्थित प्रमुख लोगइस बैठक में विमला देवी, मदन रयाल, राकेश प्रसाद, पुष्पा देवी, छटांगी देवी, विनोद रयाल, मनोज प्रसाद, दिनेश रयाल और प्रेम लाल जोशी जैसे ग्रामीण मौजूद थे।ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के निर्माण से जहां एक ओर विकास की उम्मीदें हैं, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों में सुरंग खोदाई के कारण उत्पन्न समस्याओं को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बल्दियाखान गांव के ग्रामीणों की मांगें इस बात का संकेत हैं कि उन्हें सुरक्षित और स्थायी समाधान की जरूरत है। सरकार और रेल विकास निगम को इन मांगों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए ताकि ग्रामीणों का जीवन सुरक्षित और स्थिर बना रहे।
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