भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) ने शनिवार को एक भव्य पासिंग आउट परेड (POP) का आयोजन किया, जिसमें भारतीय सेना को 355 युवा अधिकारी और मित्र देशों के 39 कैडेट मिले।
आईएमए की इस प्रतिष्ठित पासिंग आउट परेड का आयोजन शनिवार सुबह हुआ। मार्क्स कॉल के साथ शुरू हुई इस परेड में भारतीय सेना को 355 युवा अधिकारी प्राप्त हुए, जबकि 39 कैडेट मित्र देशों की सेनाओं का हिस्सा बने। इस अवसर पर भारतीय सेना की उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिंद्र कुमार ने बतौर रिव्यूइंग ऑफिसर परेड का निरीक्षण किया और पास आउट हो रहे अधिकारी कैडेट से सलामी ली।
लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिंद्र कुमार ने परेड के निरीक्षण के दौरान अपने संबोधन में अंतरिक्ष, साइबर और सूचना क्षेत्रों में तकनीकी प्रगति के बीच युद्ध की तेजी से बदलती प्रकृति पर प्रकाश डाला। उन्होंने जटिल और प्रतिस्पर्धी युद्धक्षेत्रों में प्रभावी ढंग से काम करने के लिए तकनीकी दक्षताओं को बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उनके संबोधन ने युवा अधिकारियों को आने वाले समय की चुनौतियों के प्रति सतर्क किया और उन्हें आधुनिक युद्ध के परिदृश्य में आवश्यक तकनीकी कौशल हासिल करने की प्रेरणा दी। लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा, “युद्ध के बदलते स्वरूप को समझना और उसके अनुरूप अपनी क्षमताओं को विकसित करना समय की मांग है।”
154वां रेगुलर कोर्स और 137वां टेक्नीकल ग्रेजुएट कोर्सपासिंग आउट परेड के बाद आयोजित पीपिंग और ओथ सेरेमनी के बाद, 154वें रेगुलर कोर्स और 137वें टेक्नीकल ग्रेजुएट कोर्स के कुल 394 अधिकारी कैडेट लेफ्टिनेंट के रूप में देश-विदेश की सेना की मुख्यधारा में शामिल हो गए। इनमें 355 युवा सैन्य अधिकारी भारतीय थलसेना को मिले, जबकि 39 युवा सैन्य अधिकारी मित्र देशों की सेना का अभिन्न अंग बने।
इस पासिंग आउट परेड के साथ ही भारतीय सैन्य अकादमी के नाम देश-विदेश की सेना को 65,628 युवा सैन्य अधिकारी देने का गौरव जुड़ गया। इनमें मित्र देशों को मिले 2,953 सैन्य अधिकारी भी शामिल हैं। यह आंकड़ा भारतीय सैन्य अकादमी की प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता का प्रमाण है।
पीओपी के मद्देनजर अकादमी के आसपास सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद की गई थी। चप्पे-चप्पे पर सेना के सशस्त्र जवान तैनात थे, वहीं अकादमी परिसर के बाहरी क्षेत्र में सुरक्षा का जिम्मा दून पुलिस के पास था। परेड के दौरान शनिवार सुबह साढ़े छह बजे से दोपहर साढ़े 12 बजे तक पंडितवाड़ी से लेकर प्रेमनगर तक जीरो जोन लागू किया गया था, जिससे सुरक्षा में कोई भी कमी नहीं हो सके।