हरिद्वार के लालजीवाला बस्ती में एक दुखद और भयावह घटना ने समूचे क्षेत्र को हिला कर रख दिया है। दो दुकानदारों के बीच एक मामूली विवाद ने खतरनाक मोड़ ले लिया, जिसमें एक व्यक्ति की जान चली गई। सोमवार रात को घटित इस घटना ने यह साबित कर दिया कि व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा किस हद तक खतरनाक हो सकती है।
लालजीवाला बस्ती में केदार सिंह की काफी समय से एक किराने की दुकान थी। बस्ती के निवासी और ग्राहक अक्सर उसी दुकान से सामान खरीदते थे। कुछ दिन पहले, उसी बस्ती के निवासी रामजीत सिंह ने भी किराने की दुकान खोल ली, जो केदार की दुकान से कुछ दूरी पर थी। नई दुकान खुलने से दोनों के बीच प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई, जो जल्द ही रंजिश में बदल गई।
सोमवार रात, बस्ती का एक युवक रामजीत की दुकान पर सामान खरीदने गया था। इस पर केदार ने आरोप लगाया कि रामजीत ने उसका ग्राहक तोड़ लिया है। इस मामूली बात को लेकर दोनों के बीच बहस छिड़ गई, जो जल्द ही झगड़े में बदल गई। केदार का गुस्सा इतना बढ़ गया कि उसने अपने घर से सब्जी काटने वाला चाकू निकाल लाया और रामजीत पर हमला कर दिया।
केदार ने जब चाकू से हमला किया, तो रामजीत को बचाने के लिए उसका बेटा दिनेश बीच में आ गया। केदार ने दिनेश की छाती पर दो बार चाकू मारा, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। इस दौरान रामजीत को भी चोटें आईं। बस्ती वालों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी और घायल पिता-पुत्र को अस्पताल पहुँचाया। लेकिन, दिनेश की गंभीर हालत के कारण उसे बचाया नहीं जा सका और अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई।
पुलिस ने घटना की जानकारी मिलते ही तुरंत कार्रवाई की। शहर कोतवाल कुंदन सिंह राणा और एसएसआइ सतेंद्र बुटोला मौके पर पहुंचे और घटना का मुआयना किया। सीओ सिटी जूही मनराल ने बताया कि रामजीत की हालत खतरे से बाहर है। पुलिस ने केदार को हिरासत में ले लिया है और उसके खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया जा रहा है। जल्द ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
इस घटना ने लालजीवाला बस्ती में एक भय और दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। बस्ती के लोग अब भी इस सदमे से उबर नहीं पाए हैं कि एक छोटे से विवाद ने इतनी भयानक घटना का रूप कैसे ले लिया। यह घटना केवल एक व्यक्ति की जान ही नहीं ले गई, बल्कि दो परिवारों को भी बर्बाद कर दिया।
यह घटना एक सटीक उदाहरण है कि किस तरह व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा और व्यक्तिगत रंजिशें जानलेवा बन सकती हैं। केदार और रामजीत के बीच का विवाद न केवल दो दुकानदारों के बीच की प्रतिस्पर्धा थी, बल्कि इसमें व्यक्तिगत अहंकार और ईर्ष्या भी शामिल थी। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा को स्वस्थ और सद्भावपूर्ण बनाए रखने की कितनी आवश्यकता है।
हरिद्वार की इस घटना ने समाज के सामने एक गंभीर प्रश्न खड़ा कर दिया है: क्या हम छोटी-छोटी बातों पर अपनी जान लेने और देने के लिए तैयार हैं? क्या व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा में इतनी अधिक ईर्ष्या और द्वेष होना चाहिए? यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि हमें अपनी व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में संतुलन बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है।
इस दुखद घटना से सभी को सबक लेना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रतिस्पर्धा कभी भी हिंसा और नफरत का रूप न ले। समाज में प्रेम, सद्भाव और सहिष्णुता बनाए रखने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए।