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देहरादून की विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) अपर जिला जज अर्चना सागर की अदालत ने छह साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह देहरादून में पहला मामला है जब किसी दोषी को पॉक्सो कोर्ट में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। इसके अलावा, अदालत ने दोषी पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है, जो जुर्माना अदा न करने पर एक महीने की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

राज्य की ओर से नियुक्त सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अल्पना थापा के अनुसार, दो मार्च 2021 को एक व्यक्ति ने मसूरी कोतवाली में तहरीर दी थी। तहरीर में उसने बताया कि वह शाम साढ़े छह बजे घर आया तो पत्नी ने बताया कि उनकी छह साल की बच्ची के साथ मदन शाही नामक व्यक्ति, जो नेपाल का निवासी है, ने कमरे में ले जाकर दुष्कर्म किया। इसके बाद बच्ची को काफी रक्तस्राव हुआ, जिसके चलते उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया। मसूरी कोतवाली में इस मामले में आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया।

अदालत के समक्ष दिए गए बयान में पीड़िता की मां ने बताया कि वे भी मूल रूप से नेपाल के निवासी हैं और दो मार्च 2021 को उनके पति काम पर गए थे। इसी दौरान आरोपी ने उनकी बेटी को अपने कमरे में ले जाकर दुष्कर्म किया। बच्ची को लगातार रक्तस्राव हो रहा था, जिसके बाद आरोपी खुद ही उसे मसूरी के सिविल अस्पताल ले गया और बताया कि बच्ची गिर गई थी, जिससे उसे चोट लगी है। बच्ची की हालत गंभीर होने पर उसे देहरादून के एक निजी अस्पताल में रेफर किया गया, जहां उसे आइसीयू में भर्ती किया गया।

इस मामले में अभियोजन पक्ष ने 16 गवाह पेश किए, जिसमें आठ चिकित्सक भी शामिल थे। दोषी को सलाखों के पीछे पहुंचाने में मसूरी थाने के पैरोकार सुरजीत और कोर्ट मोहर्रिर रविंदर कोटियाल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सजा सुनाते हुए न्यायाधीश अर्चना सागर ने कहा कि दोषी ने 12 साल से कम आयु की बालिका के साथ दुष्कर्म कर उसे गंभीर स्थिति तक पहुंचा दिया। इन परिस्थितियों में पीड़िता को पांच लाख रुपये प्रतिकर के रूप में दिलाया जाना न्यायोचित है। अदालत ने दोषी को दुष्कर्म और पीड़िता की जान को जोखिम में डालने के आरोपों के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

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यह मामला समाज में बढ़ते अपराधों के प्रति न्यायिक प्रणाली की सख्त कार्रवाई का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। न्यायाधीश ने अपनी सजा में यह स्पष्ट संदेश दिया है कि ऐसे अपराधों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी। इस निर्णय से पीड़िता और उसके परिवार को न्याय मिला है और यह अन्य अपराधियों के लिए एक चेतावनी भी है।

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