लद्दाख में टी-72 टैंक के नदी को पार करते समय जल स्तर बढ़ने के कारण हुए हादसे में कई जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी। इन शहीद जवानों में उत्तराखंड के पौड़ी जनपद के विकासखंड पाबौ के बिशल्ड गांव के निवासी भूपेंद्र सिंह नेगी भी शामिल थे।
भूपेंद्र सिंह नेगी के बलिदान की खबर से उनके गांव में शोक की लहर दौड़ गई है और पूरे गांव में मातम छाया हुआ है।भूपेंद्र सिंह नेगी का अंतिम संस्कार सोमवार को पाबौ स्थित उनके पैतृक घाट पर किया जाएगा। ग्रामीणों और परिवार के लोगों ने बताया कि भूपेंद्र की माता का पूर्व में ही निधन हो चुका है और उनकी पत्नी तीन बच्चों के साथ देहरादून में रहती हैं। भूपेंद्र के पिता भी उनके साथ ही देहरादून में रहते हैं। विवेक, जो गांव के रिश्ते में उनके भाई हैं, ने बताया कि करीब एक साल पहले गर्मियों की छुट्टी में भूपेंद्र अपने घर आए थे।जिलाधिकारी डा. आशीष चौहान ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि शहीद भूपेंद्र सिंह नेगी का पार्थिव शरीर सोमवार तक पौड़ी के विशल्ड गांव पहुंचने की संभावना है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस दुखद घटना पर शोक प्रकट किया है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि दुख की इस घड़ी में पूरा देश शोक संतप्त परिवारों के साथ खड़ा है और ईश्वर से प्रार्थना की कि सभी शहीदों की आत्मा को शांति मिले और उनके परिवारों को इस असीम दुख को सहने की शक्ति मिले। गांव में मातम, अंतिम विदाई की तैयारीभूपेंद्र सिंह नेगी के बलिदान की खबर मिलते ही गांव में शोक की लहर दौड़ गई है। स्वजन का रो-रो कर बुरा हाल है और गांव में हर तरफ शोक का माहौल है। गांव के लोग और प्रशासन के अधिकारी भी इस दुख की घड़ी में शहीद के परिवार के साथ हैं और उनके अंतिम संस्कार की तैयारियों में सहयोग कर रहे हैं।यह घटना न केवल भूपेंद्र सिंह नेगी के परिवार के लिए, बल्कि पूरे उत्तराखंड और देश के लिए एक बड़ी क्षति है। शहीद भूपेंद्र सिंह नेगी की वीरता और बलिदान को कभी नहीं भुलाया जाएगा और उनका नाम हमेशा सम्मान और गर्व के साथ लिया जाएगा।