जी7 शिखर सम्मेलन में इस बार भारत ने एक विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में भाग लिया। इस सहभागिता ने भारत के लिए कई महत्वपूर्ण लाभों का द्वार खोला है। सम्मेलन के दौरान भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) जैसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर सहमति बनी, जो भारत के वैश्विक व्यापार और कनेक्टिविटी के परिप्रेक्ष्य में एक बड़ी उपलब्धि है।
जी7 देशों ने भारत को हाईस्पीड रेलवे के माध्यम से यूरोप से सीधे जोड़ने की सहमति दी है। यह परियोजना न केवल भारत के लिए व्यापारिक दृष्टिकोण से लाभकारी होगी, बल्कि यह पश्चिम एशिया से यूरोप तक व्यापार को कई गुना बढ़ाने में सक्षम होगी। जी7 देशों ने एक विज्ञप्ति जारी करके भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) जैसे ठोस बुनियादी ढांचे के प्रस्तावों को आगे बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता जताई है।
आईएमईसी परियोजना के तहत सऊदी अरब, भारत, अमेरिका और यूरोप के बीच एक विशाल सड़क, रेलमार्ग और पोत परिवहन तंत्र की परिकल्पना की गई है। इसका उद्देश्य एशिया, पश्चिम एशिया और पश्चिम के बीच जुड़ाव सुनिश्चित करना है। इस परियोजना को चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) के समक्ष एक रणनीतिक पहल के रूप में देखा जा रहा है। बीआरआई एक विशाल संपर्क परियोजना है जो चीन को दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया, रूस और यूरोप से जोड़ती है।
एंजी7 शिखर सम्मेलन में, जो लक्जरी रिसॉर्ट बोर्गो एग्नाजिया में आयोजित हुआ, एक विज्ञप्ति जारी की गई जिसमें निम्नलिखित प्रमुख बिंदु शामिल थे:
1. गुणवत्तापूर्ण अवसंरचना और निवेश: जी7 पीजीआईआई (वैश्विक अवसंरचना और निवेश के लिए साझेदारी) के माध्यम से लोबिटो कॉरिडोर, लुजोन कॉरिडोर, मिडिल कॉरिडोर और भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे के लिए समन्वय और वित्तपोषण कार्यक्रम को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई गई।
2. स्वतंत्र और मुक्त हिंद-प्रशांत : कानून के शासन के आधार पर एक स्वतंत्र और मुक्त हिंद-प्रशांत के प्रति जी7 की प्रतिबद्धता दोहराई गई।
3.आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) : कृत्रिम मेधा (एआई) के संचालन में अधिक निश्चितता, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए जी7 सदस्यों के दृष्टिकोणों के बीच तालमेल को बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई गई।
4. यूक्रेन का समर्थन : रूस के साथ जारी संघर्ष में यूक्रेन के लिए “मजबूत समर्थन” व्यक्त किया गया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी7 शिखर सम्मेलन में मेजबान इतालवी समकक्ष जॉर्जिया मेलोनी के निमंत्रण पर भाग लिया। प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन में कृत्रिम मेधा, ऊर्जा, अफ्रीका और भूमध्य सागर जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई। इस संबोधन के दौरान, विश्व नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी की विचारशीलता और नेतृत्व की प्रशंसा की।
आईएमईसी परियोजना से भारत को कई महत्वपूर्ण लाभ होंगे:
1. व्यापारिक कनेक्टिविटी : हाईस्पीड रेलवे और सड़क मार्ग के माध्यम से भारत को पश्चिम एशिया और यूरोप से जोड़ने से व्यापारिक कनेक्टिविटी में सुधार होगा।
2. आर्थिक वृद्धि : व्यापारिक गतिविधियों में वृद्धि से आर्थिक वृद्धि होगी और भारत की वैश्विक व्यापार में हिस्सेदारी बढ़ेगी।
3. रणनीतिक प्रभाव : चीन की बीआरआई परियोजना के समक्ष एक वैकल्पिक और प्रतिस्पर्धी परियोजना के रूप में आईएमईसी भारत को रणनीतिक लाभ देगा।
4. क्षेत्रीय सहयोग : सऊदी अरब, अमेरिका और यूरोप के साथ सहयोग बढ़ने से क्षेत्रीय संबंधों में सुधार होगा।
जी7 शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी ने न केवल भारत के वैश्विक महत्व को बढ़ाया है, बल्कि इसे एक महत्वपूर्ण आर्थिक गलियारे के माध्यम से वैश्विक व्यापार के केंद्र में ला दिया है। आईएमईसी जैसी परियोजनाएं भारत के लिए व्यापारिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होंगी और भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर प्रदान करेंगी। जी7 शिखर सम्मेलन में भारत की सक्रिय भागीदारी और प्रमुख परियोजनाओं पर सहमति, भारत के लिए भविष्य में कई आर्थिक और रणनीतिक लाभों की संभावना को दर्शाती है।