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उद्यान विभाग में फालदार पौधों की खरीद में हुए व्यापक घोटाले की जांच में सीबीआई ने तीन कर्मचारियों से पूछताछ शुरू की है। इस मामले में आज शाम तक कुछ कर्मचारियों की गिरफ्तारी की संभावना भी जताई जा रही है। मामला बेहद गंभीर है और उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सीबीआई ने पिछले साल अक्तूबर से इस मामले की जांच शुरू की थी। घोटाले की शुरुआत तब हुई जब अल्मोड़ा निवासी दीपक करगेती और गोपाल उप्रेती सहित अन्य ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की। याचिका में आरोप लगाया गया था कि उद्यान विभाग ने करोड़ों का घोटाला किया है और फालदार पौधों की खरीद में भारी गड़बड़ियां की गई हैं।

बरकत एग्रो फार्म को इनवाइस बिल आने से पहले ही भुगतान कर दिया गया और बिना लेखाकार के हस्ताक्षर के ही करोड़ों के बिल ठिकाने लगा दिए गए।

जब याचिकाकर्ता सीबीसीआईडी की जांच से संतुष्ट नहीं हुए, तो उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा फिर से खटखटाया। इसके परिणामस्वरूप, अक्तूबर में उच्च न्यायालय ने मामले की जांच सीबीआई के हवाले करने के आदेश दिए। इसी के तहत, सीबीआई ने मामले की गहन जांच शुरू की और अब पूछताछ का दौर जारी है।

इस मामले में उद्यान विभाग के निदेशक और मुख्य उद्यान अधिकारी की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। निदेशक ने मुख्य उद्यान अधिकारी के साथ मिलकर एक फर्जी आवंटन जम्मू कश्मीर की नर्सरी बरकत एग्रो फार्म को कर दिया और बिना किसी सत्यापन के ही भुगतान कर दिया। यह भ्रष्टाचार का एक स्पष्ट उदाहरण है।

दीपक करगेती, गोपाल उप्रेती और अन्य याचिकाकर्ताओं ने इस घोटाले को उजागर करने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। उनकी जनहित याचिकाओं ने उच्च न्यायालय को इस मामले की गहन जांच के आदेश देने पर मजबूर किया। उच्च न्यायालय ने न्याय की रक्षा करते हुए सीबीआई को जांच का जिम्मा सौंपा, जिससे एक निष्पक्ष और गहन जांच की उम्मीद जगी।

सीबीआई की जांच और पूछताछ से स्पष्ट हो गया है कि इस घोटाले में कई बड़े अधिकारी और कर्मचारी शामिल हो सकते हैं। आज शाम तक कुछ गिरफ्तारियां हो सकती हैं जो इस मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होंगी।

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विभाग में फालदार पौधों की खरीद में हुए घोटाले ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की कितनी आवश्यकता है। उच्च न्यायालय और सीबीआई की सख्ती से यह उम्मीद की जा सकती है कि दोषियों को सजा मिलेगी और इस प्रकार के घोटाले भविष्य में नहीं होंगे। याचिकाकर्ताओं की सतर्कता और न्यायालय की सख्ती ने एक महत्वपूर्ण मुद्दे को उजागर किया है, जिससे जनता का सरकारी तंत्र में विश्वास बना रह सके।

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