विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के अवसर पर खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) और पीआरएसआई के तत्वावधान में शुक्रवार को एक विशेष संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में खाद्य कारोबारियों, मीडिया, और विषय विशेषज्ञों ने भाग लिया।
सुभाष रोड स्थित एक होटल में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ एफडीए के अपर आयुक्त श्री ताजबर सिंह जग्गी और अन्य प्रमुख अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर अपर आयुक्त ने कहा कि संतुलित और सुरक्षित आहार ही स्वस्थ जीवन का आधार है और इसके लिए विभाग पूर्ण प्रयास कर रहा है। चारधाम यात्रा मार्गों और पर्यटन केन्द्रों पर विशेष अभियान चलाकर मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचने वालों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है।
जनवरी 2024 से मई 2024 तक 1763 नमूने लिए जा चुके हैं और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ ही मुकदमे भी दर्ज किए गए हैं। अपर आयुक्त ने विभागीय टोल फ्री नंबर 180018004246 पर किसी भी समस्या या शिकायत के लिए जानकारी देने की अपील की। राज्य में खाद्य अपमिश्रण पर अंकुश लगाने के लिए मानव संसाधन जैसे खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की कमी को जल्द दूर किया जाएगा। इसके लिए 25 खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के चयन हेतु लोक सेवा आयोग को अधियाचन भेजा गया है।
खाद्य उपभोक्ताओं को अपमिश्रण के प्रति जागरूक करने के लिए प्रशिक्षण और त्वरित जांच हेतु 03 सचल खाद्य विश्लेषणशालाओं के माध्यम से निगरानी नमूने जांचे जा रहे हैं। खाद्य कारोबारियों को खाद्य नियमों की जानकारी और स्वच्छता संबंधी मानकों के लिए जागरूक करने हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। अब तक 2000 स्ट्रीट वेंडरों को राज्य के विभिन्न जनपदों में प्रशिक्षित किया जा चुका है।
एम्स ऋषिकेश के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के डॉ. संतोष ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि हम फूड पेंडेमिक के दौर में जा रहे हैं। अगर हम खाने को दवा की तरह लेना शुरू करेंगे तो आने वाले दिनों में दवा लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने कहा कि खानपान हमारी जिम्मेदारी है और हमें यह तय करना होगा कि हमारे शरीर के लिए क्या सही है। नशे की लत की तरह जंक फूड का एडिक्शन लोगों में बढ़ रहा है जिससे हृदयाघात, हाइपरटेंशन और मोटापे जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं।
पीआरएसआई के देहरादून चैप्टर के अध्यक्ष और सूचना एवं लोक संपर्क विभाग के उपनिदेशक श्री रवि बिजरानिया ने सुरक्षित खानपान के प्रति जनजागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग लोगों को फूड सेफ्टी पर जागरूक करने के लिए किया जा सकता है।
एफडीए के उपायुक्त श्री गणेश चंद्र कंडवाल ने बताया कि विभाग जल्द ही खाद्य सुरक्षा की कसौटी नामक पुस्तक का प्रकाशन करने वाला है, जिसमें खाद्य सुरक्षा से जुड़ी सभी जानकारी उपलब्ध होगी। उन्होंने बताया कि कोई भी शिकायत फूड सेफ्टी कनेक्ट एप पर दर्ज की जा सकती है। वरिष्ठ पत्रकार सुश्री ज्योत्स्ना ने कहा कि फूड सेफ्टी की जनजागरूकता के लिए महिलाओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए। उन्होंने मिलेट्स के बारे में भी बात की, जो स्वस्थ भोजन का एक अच्छा विकल्प है।
वरिष्ठ पत्रकार गजेंद्र नेगी ने कहा कि संतुलित जीवन अपनाना आवश्यक है और पोषक भोजन भी स्वादिष्ट हो सकता है। उन्होंने फूड सेफ्टी विभाग के ढांचे को आज की परिस्थितियों के अनुरूप मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। पत्रकार राकेश खंडूरी ने फूड सेफ्टी से संबंधित कानून को और अधिक सख्त करने की मांग की। उन्होंने बताया कि सरल तरीकों से घर पर ही खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच की जा सकती है।
खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन द्वारा जल्द ही सर्विलान्स की कार्रवाई की जाएगी, जिसमें फल, मसाले, दूध और खाद्य तेल प्रमुख होंगे। राज्य में विद्यमान खाद्य निर्माण इकाईयों का रिस्क बेस निरीक्षण किया जाएगा। दुग्ध उत्पादों, खाद्य तेल, मसाले निर्माण इकाईयों का समय-समय पर निरीक्षण कर नियमों के उल्लंघन पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
इस कार्यक्रम के माध्यम से यह स्पष्ट हुआ कि खाद्य सुरक्षा एक महत्वपूर्ण विषय है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। मिलावटखोरी के खिलाफ लड़ाई में जनजागरूकता, विभागीय सख्ती, और नवीनतम तकनीकों का उपयोग आवश्यक है। फूड सेफ्टी कनेक्ट एप और आगामी पुस्तक ‘खाद्य सुरक्षा की कसौटी’ जैसे प्रयास इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं, जो जनता को सुरक्षित और स्वस्थ खाद्य पदार्थों की प्राप्ति सुनिश्चित करेंगे।
इस अवसर पर होटल एसोसिएशन, पीएसआरआई और एफडीए के कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे जिन्होंने खाद्य सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार साझा किए।