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एशिया कप 2022 में धुआंधार बल्लेबाजी करेंगे विराट कोहली,उम्मीद अभी भी है जिंदा

खेल पत्रकारिता में खेल संवाददाताओं को जो चीज सबसे ज्यादा आकर्षित करती है वह यह है की दुनिया के कुछ बेहतरीन खिलाड़ियों से मिलने का अवसर और खुद को बेहतरीन साबित करने के लिए उनकी मेहनत के विषय में लिखने का अवसर और यह मैंने अपनी आंखों से देखा है कहने की संतुष्टि। पिछले एक दशक से ऐसा ही आनंद आ रहा है।

एक बार फिर चमकेगा क्रिकेट जगत
रनों की गति भले ही धीमी हो गई हो, लेकिन मन अभी भी उस समय को याद करता है जब रनों की बरसात हुआ करती थी। बता दें कि आने वाला एशिया कप में विराट अपनी धुआंधार बल्लेबाजी से क्रिकेट जगत को एक बार फिर चमकाने का मौका दे रहा है, जिसके लिए विराट विश्व प्रचलित है। विराट के अंदर सबसे हटकर जो चीज है वह यह है कि अपने कौशल पर नियंत्रण है। उनका दिमाग जो सोचता है वह बहुत ही खूबसूरती के साथ उसे हाथ पैर और बल्ले के माध्यम से अंजाम देते हैं।

गूंज उठता है तालियों से स्टैंड
आधुनिक क्रिकेट में विराट का कवर ड्राइव बिलकुल मछली को झपटा मारकर पानी से बाहर निकालती हुई चील की गति और गति में तीव्रता के समान है। उनकी आंखें बखूबी गेंद की लाइन और लेंथ को भाप लेती हैं। बायां पैर उसके करीब जाता है और बाहें सुंदर आर्क में खुलती हैं। बल्ला शरीर के करीब गेंद से मिलता है और गेंद अक्सर फील्डर के पीछे से कवर फैंस तक दौड़ लगाती है।फिर स्टैंड्स में छा जाता है आश्चर्य के सन्नाटे का लहर और पूरा स्टैंड तालियों से गूंज उठता है।जिस तरह एक कलाकार के पास अपनी उत्कृष्ट कृति के संस्करण होते हैं, विराट के पास उनके कवर ड्राइव की वेराइटीज हैं।

जो गेंद ड्राइवेबल लंबाई से थोड़ा आगे है, उसकी गति को रोकते हुए उनका शरीर और हाथ आगे बढ़कर नज़ाकत से बॉल को सीमा के पार पहुंचा देता है।एक ऐसी डिलीवरी जो अन्य बल्लेबाजों को मुश्किल लगती है, लेकिन विराट के हाथ और शरीर, मानो उनमें सेंसर लगे हों, गेंद को बड़ी ही खूबसूरती से फेंस के बाहर तक का रास्ता दिखा देते हैं।

आंखें करती हैं इनका पीछा और बल्ला अभी भी हवा में है
आंखें गेंद का पीछा करती हैं लेकिन विराट का बल्ला अभी भी हवा में है। मुड़े हुए घुटने से थोड़ा ऊपर। थोड़ा ऊपर यह भव्यता का एक क्षणभंगुर क्षण है, जिसके लिए दुनिया भर के खेल फोटोग्राफर तरसते हैं।कई बार डेल स्टेन, जेम्स एंडरसन और मिशेल स्टार्क जैसे खिलाड़ी भी मास्टर बल्लेबाज के स्ट्रोक की प्रशंसा करने के लिए उनके अनुसरण में खड़े हो जाते हैं।अगर मामला एक लूपी ऑफ-स्पिन का हो तो विराट गेंद के डिप करने का इंतजार करते हैं।गेंद की लंबाई के आधार पर, वे या तो बाहर कूदते हैं, या अपने बाएं पैर को कस कर अपना सिग्नेचर शॉट खेलते हैं।यहां, बल्ला अपना आर्क पूरा बनाता हुआ उनके बाएं कंधे पर समाप्त होता है, जिससे बल्ले को अधिक ज़ोर मिल सके। इसकी सहजता दर्शकों को विस्मित कर देती है।

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विराट जब तक पिच पर रहते हैं विश्वास और भय पैदा करते हैं
विराट जब तक पिच पर रहते हैं वे समान मात्रा में विश्वास और भय पैदा करते हैं। प्रशंसकों को विश्वास होता है कि भारत के लिए एक रोमांचक जीत हासिल करने के आसार अभी भी हैं, और विपक्ष में डर होता है कि विराट कभी भी गेंदबाज़ों को तहस नहस कर सकते हैं।सबसे अनुभवी लेखक भी ऐसे क्षणों में खुद को धन्य मानते हैं।विराट का कौशल, गतिशीलता, और जीतने का विलक्षण संकल्प का जादू ही कुछ ऐसा है।विराट के बल्ले पर करीब तीन साल से ख़ामोशी का साया छाया हुआ है।उम्मीद की लौ मगर फिर भी ज़िंदा है।

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