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जाने क्या है अहोई अष्टमी की मान्यता,धूमधाम से मनाई गया यह त्योहार : Ahoi Ashtami

मनीषा कौशिकआज अहोई अष्टमी (ahoi ashtami) है.अहोई अष्टमी को पूरे देश की महिलाओं के द्वारा बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है.देहरादून मैं भी आज अहोई अष्टमी धूम धाम के साथ मनाई गई.

क्या है अहोई अष्टमी (ahoi ashtami) की मान्यता

करवा चौथ के 4 दिन बाद व दीवाली से आठ दिन पहले अहोई माता (ahoi ashtami) की पूजा व्रत किया जाता है यह व्रत कार्तिक मास की अष्टमी तिथि को कृष्ण पक्ष में किया जाता है इस व्रत को महिलाएं अपने पुत्र की लंबी उम्र के लिए करती हैं कुछ महिलाएं अपने पुत्र और पुत्री दोनों की शुभकामनाओं के लिए व्रत रखती हैं.

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क्या होता है अहोई का अर्थ

अहोई का अर्थ होता है अनहोनी से रक्षा करने वाली.इसीलिए महिलाएं इस व्रत (ahoi ashtami) को रखती है और अहोई माता से प्रार्थना करती है कि वे उनके बच्चों की अनहोनी से रक्षा करे और उन्हें लम्बी उम्र प्रदान करे.

क्या है अहोई व्रत की कहानी.

अहोई व्रत (ahoi ashtami) की कहानी कुछ इस तरह है की पुराने समय मैं एक साहूकार हुआ करता था.जिसकी 7 पुत्र व 7 लडकिया थी.इस साहूकार की एक बेटी अपने मायके दीपावली के मौके पर आई थी.अपने घर को लीपने के लिए साहूकार की 7 बहुएं व उसकी लड़की मिट्टी खोदने गयी.जिस स्थान पर साहूकार की लड़की मिट्टी खोद रही थी तो वहाँ एक स्याहु अपने बच्चों के साथ रहती थी.जब साहूकार की बेटी मिट्टी खोद रही थी साहूकार की बेटी की खुरपी स्याहु के एक बच्चे के उप्पेर लग गयी.जिससे उसकी मौत हो गयी इसके बाद स्याहु ने क्रोध मैं आकर सहमर की बेटी से कहा कि मैं तेरी कोख को बांधूंगी.

साहूकार की बेटी इससे डर जाती है और अपनी भाभियो से कोख बढ़ने को कहती है.जिसके बाद उसकी एक भाबी अपनी कोख बधवा लेती है.इस वजह से साहूकार की छोटी बहू के सात बच्चों की मौत हो गयी जिसके बाद उनके घर इस समस्या के निवारण के लिए पंडित बुलाया गया और पंडित ने सुरही गाय की सेवा करने की सलाह दी.सुरही गाय उनकी सेवा से प्रसन्न हुई और उनको स्याही के पास ले गयी.

स्याही के पास जाते समय वे दोनों थक जाते है और बैठ जाते है.जहाँ साहूकार की बहू देखती है कि एक साँप गरुण पखनी के बच्चों को काटने जा रहा है.जिसे देखकर बहु साँप को मार देती है और उन बच्चों को बच्चा लेती है.जिससे खीस होकर गरुण पखनी उन्हें साही के पास पहुचा देती है.जहाँ साही बहु की सेवा से प्रशन्न होकर उसे 7 पुत्र और 7 बहुओं का आशीर्वाद देती है.और तभी से अहोई व्रत मनाया जाता है.

देहरादून मैं भी धूमधाम से मनाया गया यह त्योहार

जाने क्या है अहोई अष्टमी की मान्यता,धूमधाम से मनाई गया यह त्योहार : Ahoi Ashtami

इस व्रत(ahoi ashtami) की पूजा करने हेतु ही देहरादून के तपोवन एनक्लेव के शिव मंदिर में आई कुछ महिलाएं जिन्होंने बड़े ही प्रेम भावना से इस पूजा अर्चना को किया कहा जाता है कि इस मंदिर में हर त्योहार को बहुत ही उत्साह के साथ सभी लोग मिल जुल कर मनाते हैं.

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