उत्तराखंड में एनआईओएस (राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान) से डीएलएड (डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुकेशन) करने वाले हजारों अभ्यर्थियों के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला बड़ी राहत लेकर आया है। सुप्रीम कोर्ट ने 5 मार्च 2025 को दिए अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि इन अभ्यर्थियों को राज्य में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा। यह फैसला अभ्यर्थियों द्वारा हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक चली लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आया है।
मामले की पृष्ठभूमि और विवाद
उत्तराखंड में 2020-21 के दौरान शिक्षा विभाग ने दो हजार से अधिक सहायक अध्यापक (प्राथमिक) पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। इस भर्ती में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (DIET) से डीएलएड और बीएड धारकों के साथ एनआईओएस से डीएलएड किए हुए अभ्यर्थियों ने भी आवेदन किया। अभ्यर्थियों का तर्क था कि उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्रालय और एनसीटीई (राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद) से मान्यता प्राप्त है और राज्य सरकार ने भी पहले उनके प्रमाणपत्रों को वैध बताया था।
15 जनवरी 2021 को शासन ने आदेश जारी कर एनआईओएस से डीएलएड अभ्यर्थियों को भर्ती में शामिल होने की अनुमति दी थी। लेकिन महज कुछ दिनों बाद, 10 फरवरी 2021 को सरकार ने अपने ही आदेश को रद्द कर दिया और यह कहते हुए इन्हें भर्ती से बाहर कर दिया कि एनआईओएस से डीएलएड धारकों को भर्ती में शामिल न करने का निर्णय लिया गया है। इस फैसले के खिलाफ अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर न्याय की मांग की।
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चली लंबी कानूनी लड़ाई
हाईकोर्ट ने अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए 10 फरवरी 2021 के सरकारी आदेश को रद्द कर दिया। इसके बावजूद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जहां 10 दिसंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने एनआईओएस से डीएलएड किए हुए अभ्यर्थियों को शिक्षक भर्ती के लिए पात्र करार दिया।
इसके बाद कुछ अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में पुनः याचिका दाखिल कर अनुरोध किया कि उन्हें उत्तराखंड में चल रही 2906 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में शामिल किया जाए। हालांकि, शिक्षा विभाग ने हाईकोर्ट को बताया कि 80% भर्ती पहले ही पूरी हो चुकी है और अगर एनआईओएस डीएलएड अभ्यर्थियों को जोड़ा गया तो पूरी भर्ती प्रक्रिया दोबारा करनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला
अभ्यर्थियों ने यह मामला हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करा लिया, जहां 5 मार्च 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने अपना अंतिम फैसला सुनाया। अदालत ने स्पष्ट किया कि पहले से चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति रद्द नहीं की जाएगी, लेकिन बचे हुए पदों पर एनआईओएस से डीएलएड अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा।
क्या है इस फैसले का असर?
इस निर्णय के बाद राज्य सरकार को भर्ती सेवा नियमावली में संशोधन करना होगा ताकि इन अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया में समुचित अवसर मिल सके। उत्तराखंड में ऐसे करीब 37 हजार अभ्यर्थी हैं, जिन्हें अब शिक्षक बनने का मौका मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से एनआईओएस से डीएलएड धारकों को न्याय मिलने के साथ ही भर्ती प्रक्रिया में भी संतुलन बना रहेगा। सरकार को अब जल्द से जल्द इस पर अमल करना होगा ताकि योग्य अभ्यर्थी शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दे सकें।